प्रजनन अध्ययन विभाग

प्रजननता “जनांकिकी” के तीन मुख्य घटकों में से एक है । प्रजनन प्रवृत्तियां तथा भविष्‍य की संभावनाएं आर्थिक तथा सामाजिक योजना, जनशक्ति आपूर्ति तथा विकास प्रक्रिया के अभिन्न घटक हैं । प्रजनन अध्ययन विभाग की स्थापना आइआइपीएस को विश्वविद्यालय समतुल्य का दर्जा प्रदान करने के साथ ही की गई थी । विभाग के संकाय सदस्य सक्रिय रूप से अध्यापन, प्रजननता तथा उसका मापन, वैवाहिकता, गर्भनिरोध तथा मानव पुनरूत्पादन के क्षेत्र में शोध संचालन तथा छात्रों को मार्गदर्शन देने में संलग्न हैं । विभाग मानव प्रजननता तथा प्रजननता संक्रमण में अध्यापन तथा शोध में व्यापक बहु-आयामी दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है । विभाग सैद्धांतिक तथा अनुभवजन्य शोध में महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर फोकस करता है जो प्रजननता सिद्धांतों के साथ ही नीति निर्माण के आगामी विकास में सहायक हो सकता है। इन क्षेत्रों में जैवसामाजिक, प्रजननता के व्यवहार तथा निकटस्थ निर्धारक, गर्भपात, निम्न/उच्च प्रजननता तथा बांझपन और उनके निहितार्थ तथा प्रजननता संक्रमण में सामाजिक-आर्थिक तथा स्थानिक प्रतिरूप, प्रजननता तथा विकास संबंध, पुनरूत्पादक अधिकार, महिलाओं का सशक्तिकरण तथा प्रजननता, विवाह दर, विवाह के समय आयु तथा उसके सहसंबंध, विवाह परिदृश्य तथा असंतुलन, लिंग-वरीयता तथा प्रजननता पर उसका प्रभाव और जन्म के समय लिंगानुपात तथा मानव प्रजननता में ऐतिहासिक पहलुओं का समावेश है । इसके अलावा विभाग यह भी सुनिश्चित करता है कि मानव प्रजननता में प्रारंभ किया गया शोध स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर केन्द्रित हो । विभाग के संकाय सदस्यों तथा शोधकर्ताओं को बड़े पैमाने पर सर्वेक्षणों जैसे जनांकिकीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण, जिला स्तरीय परिवार तथा सुविधा सर्वेक्षण, भारतीय मानव विकास सर्वेक्षण तथा जनगणना के डेटासेटों का उपयोग करते हुए जन्म इतिहासों तथा उन्नत सांख्यिकीय मॉडलों का विश्लेषण करने की विशेषज्ञता है । विभाग को प्रजननता परिवर्तन के जटिल सामाजिक-सांस्कृतिक तथा व्यवहार संबंधी पहलुओं की जाँच करने के लिए गुणात्मक अध्ययन संचालित करने में भी प्रवीणता प्राप्त है । विभाग के संकाय सदस्यों तथा शोधकर्ताओं के शोधपत्र अभिजात समीक्षा वाले जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं और इन्होंने उपर्युक्त प्रमुख क्षेत्रों में राष्ट्रीय तथा विदेशी शोधकर्ताओं के साथ कई सहयोगात्मक अध्ययन संचालित किए हैं ।

प्रजनन अध्ययन विभाग
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