प्रवसन एवं नगरीय अध्‍ययन विभाग

वर्ष 1956 में विभाग की स्थापना के बाद से प्रवसन एवं नगरीकरण के क्षेत्र में शोध तथा अध्यापन आइआइपीएस का एक मुख्य या क्षेत्र रहा है । संस्थान की स्थापना के पश्चात् पहले दशक में प्रवसन तथा नगरीय अध्ययन जापान सहित भारत तथा दक्षिण-पूर्व एशिया पर केन्द्रित था । इस दशक के दौरान दो अग्रणी अध्ययन अर्थात् ‘भारतीय उप महाव्दीप में आंतरिक प्रवसन का ऐतिहासिक अध्ययन’ तथा ‘बृहत् मुंबई में प्रवसन’ प्रकाशित किए गए । वर्ष 2000 के बाद के दशक में, प्रवसन एवं नगरीय अध्ययन विभाग ने कई अध्ययन प्रारंभ किए हैं जो क्षेत्रीय विकास को आकार देने में शहरीकरण की भूमिका तथा प्रवसन और गरीबी के बीच संबंधों को प्रमाणित करते हैं । नई सहस्राब्दि के प्रारंभ में, विभाग ने अपने ज्ञान की सीमा तथा प्रवसन एवं लिंग, प्रवसन तथा स्वास्थ्य और शहरीकरण तथा पर्यावरण सहित शोध तथा अध्यापन के अवसरों को विस्तृत बनाया है । विभाग ने क्षेत्र विशिष्ट प्रवसन अध्ययन प्रारंभ किया है और गुजरात राज्य से अन्तर्राष्ट्रीय बाह्य प्रवसन तथा बिहार राज्य में आंतरिक प्रवसन के कारण और परिणाम विषय पर बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण संचालित किए हैं । विभाग द्वारा संस्थान के विभिन्न मास्टर डिग्री कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों में ‘प्रवसन तथा शहरीकरण’,‘प्रवसन, विशेष वितरण और शहरीकरण’, स्थानिक जनांकिकी’, तथा ‘शहरीकरण, स्थान तथा योजना’ विषयों का समावेश है। विभाग में पांच पूर्णकालिक संकाय सदस्य अर्थात् दो प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर तथा दो सहायक प्रोफेसर हैं । वर्तमान में, विभाग के संकाय सदस्यों व्दारा एक दर्जन से अधिक पीएच.डी छात्रों का मार्गदर्शन किया जा रहा है जो प्रवसन तथा शहरीकरण के विभिन्न पहलुओं तथा स्वास्थ्य एवं विकास के साथ उनके सहसंबंधों पर कार्यरत हैं ।

प्रवसन एवं नगरीय अध्‍ययन विभाग
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