विकास अध्ययन विभाग

विकास अध्ययन विभाग की स्थापना वर्ष 1985 में हुई थी जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व्दारा संस्थान को विश्वविद्यालय समतुल्य का दर्जा प्रदान किया गया था । विभाग के संकाय सदस्य मास्टर, एम.फिल तथा पीएच.डी शोध छात्रों को पाठ्यक्रम पढ़ा रहे हैं जिनमें जनसंख्या तथा विकास, जनसंख्या तथा धारणीय विकास, शोध प्रणाली, जनसंख्या वयोवृद्धि तथा स्वास्थ्य संक्रमण, जनसंख्या अध्ययन में लिंग संबंधी मुद्दे, वैश्विक स्वास्थ्य, सांख्यिकीय तथा जनांकिकीय पैकेजों का अनुप्रयोग तथा जनांकिकीय पद्धतियों का समावेश है । विभाग के संकाय सदस्य विविध अनुसंधान क्षेत्रों में शोध संचालित करते हैं जिसमेँ जनसंख्या तथा विकास, प्रजननता तथा मर्त्यता विश्लेषण, जनसंख्या वयोवृद्धि, जनसंख्या तथा पर्यावरण, जन स्वास्थ्य तथा महामारी विज्ञान, लिंग संबंधी मुद्दे तथा पोषण का समावेश है । विभाग के संकाय सदस्य जनसंख्या तथा विकास संकेतकों में ऐतिहासिक प्रवृत्तियां, भारत में केवल बेटी वाले परिवार और बृहत् राष्ट्रवार अध्ययन जैसे भारत में अनुदैर्घ्य वयोवृद्धि अध्ययन (लासी), लासी का डिमेंशिया का सामंजस्यपूर्ण निदान संबंधी मूल्यांकन (डीएडी), वृध्द व्यक्तियों में दृश्य तीक्ष्णता मापना तथा उसे सही करना और सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण पर दृश्य सुधार के प्रभाव को मापना, विश्वव्यापी वयोवृद्धि तथा प्रौढ़ स्वास्थ्य का अध्ययन (सेज) –परियोजना-1, परियोजना -2 तथा परियोजना-3 तथा भारत में अनैच्छिक गर्भपात विषय पर परियोजनाओं के मुख्‍य अन्वेषक या सह-मुख्‍य अन्वेषक हैं । विभाग के संकाय सदस्यों ने डब्लुएचओ, यूएनएफपीए, यूनिसेफ, हार्वर्ड टी.एच.चेन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलीफोर्निया, निफ्ट को परामर्शदाता या सलाहकार तथा भारत सरकार की अनुसचिवीय समितियों तथा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की तकनीकी सलाहकार समितियों के सदस्य के रूप में सेवाएं प्रदान कीं ।

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