दो सेमेस्टर वाले प्रशिक्षण के चरण-I का उद्देश्य लेखांकन, लेखा परीक्षा और कार्मिक प्रशासन पर सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करना है। विभिन्न शैक्षणिक विषयों पर कक्षा सत्रों से युक्त, यह चरण खेल, संस्कृति और अन्य पाठ्येतर गतिविधियों के माध्यम से पारस्परिक कौशल और व्यक्तित्व विकास के विकास पर भी केंद्रित है। इस प्रशिक्षण का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य प्रशिक्षु अधिकारियों को सामाजिक सरोकारों से अवगत कराना है, जो एक लोक सेवक के निर्माण में एक आवश्यक इनपुट है। सेमेस्टर- I में शामिल विषयों में सार्वजनिक वित्त, कानून और नीति, सरकारी खाते, वाणिज्यिक लेखांकन के सिद्धांत और अभ्यास, सार्वजनिक क्षेत्र लेखा परीक्षा के सिद्धांत, प्रशासन और सार्वजनिक व्यय, सूचना प्रणाली लेखा परीक्षा और हिंदी शामिल हैं। सेमेस्टर- II में विषय उन्नत वाणिज्यिक लेखांकन, लागत और प्रबंधन लेखांकन, प्रैक्टिस में ऑडिट- I और II, वित्तीय ऑडिटिंग और सूचना प्रणाली ऑडिट हैं।
प्रशिक्षण चरण- I के दौरान न केवल अकादमी में बल्कि राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त और नीति संस्थान (एनआईपीएफपी), संसदीय अध्ययन और प्रशिक्षण ब्यूरो (बीपीएसटी), राष्ट्रीय सीमा शुल्क अकादमी, अप्रत्यक्ष जैसे उत्कृष्ट पेशेवर शैक्षणिक संस्थानों में भी दिया जाता है। कर और नारकोटिक्स (NACIN) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM), अहमदाबाद के अलावा IA&AD के अपने प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान, यानी, इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंफॉर्मेशन सिस्टम ऑडिट (iCISA) और इंटरनेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल ऑडिट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (iCED)।
इस चरण के दौरान, अधिकारी प्रशिक्षुओं के रचनात्मक साहित्यिक कौशल को उनके द्वारा प्रकाशित 'यारोज़ ड्यू' और 'अकादमी कॉलिंग' नामक दो इन-हाउस पत्रिकाओं और उनके द्वारा बनाई गई सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषय पर एक वृत्तचित्र फिल्म के माध्यम से विकसित किया जाता है। प्रशिक्षु अधिकारियों से पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने और अकादमी द्वारा आयोजित संरचित कार्यक्रमों के माध्यम से समाज के वंचित वर्गों के साथ बातचीत करने की भी अपेक्षा की जाती है। सेमेस्टर-II के अंत में प्रशिक्षुओं को तीन सप्ताह के अध्ययन दौरे पर भेजा जाता है, जिसके दौरान उन्हें महत्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निकायों के कामकाज और देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थानों से परिचित कराया जाता है।
सेवाकालीन प्रशिक्षण जो लगभग आठ माह तक चलता है, का उद्देश्यसैद्धान्तिकतथा व्यावहारिक कार्य के बीच के अंतर को खत्म करने के लिए एक पुल की तरह कार्य करना है. प्रशिक्षु अधिकारी विभिन्न राज्यों महालेखाकार कार्यालयों सेजुड़ेंहोते हैं. प्रशिक्षण लेखा, लेखापरीक्षा तथा हकदारी कार्यों के अनुसार अलग-अलग विभाजित होता है। प्रशिक्षण के प्रत्येक भाग के अंत, में जो कि 16 सप्ताह का होता है, प्रशिक्षु अधिकारी वापिस अकादमी में अपने अनुभवों को साझा करने वाले सत्र में शामिल होते हैं|
यह सीखने काअत्यंतमहत्त्वपूर्णअवसर होता हैक्योंकिप्रशिक्षु अधिकारियों को सभी विभागों तथा सभी स्तरों पर कार्यालयों के प्रशासनिक तथा कार्मिक मुद्धों को समझने का अवसर प्राप्त होता है|उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां जैसे लेखापरीक्षा दलों का नेतृत्व करना, शाखा अधिकारी या सहायक जन सूचना अधिकारी के रूप में कार्य करना आदि निर्दिष्ट की जाती है. अकादमी के निदेशक प्रशिक्षु अधिकारियों के लिए परामर्शदाता की तरह कार्य करते हैं तथा प्रशिक्षु अधिकारियों के लगातार संपर्क में रहते है ताकि आवश्यकतानुसार उनका मार्गदर्शन कर सकें|
व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षु अधिकारियों को लेखा परीक्षा दल के साथ कार्यक्षेत्र में भेजा जाता है| विभिन्न कार्यकारिणी तथा शासकीय लेखांकन समीतियों के साथ प्रशिक्षु अधिकारियों को अधिवेशन (meetings) में शामिल करवाने का प्रयास करवाया जाता है. इस प्रशिक्षण का उदे्श्य विभिन्न राज्यों के महालेखाकार कार्यालयों में कार्यप्रणाली की विस्तृत तथा संपूर्ण समझ प्रदान करना होता है| यह सरकार के विभिन्न विभागों के बहुपक्षीय कार्यप्रणाली को समझने का तथा सरकारी प्रणाली में उस विभाग की भूमिका को समझने का भी अवसर प्रदान करती है|
सेवाकालीन प्रशिक्षण समाप्त होने पर प्रशिक्षण का दूसरा चरण प्रारंभ हो जाता है जो कि सैंडविच पैर्टन पर आधारित होता है.प्रशिक्षु अधिकारी अपने अनुभवों को साझा करने के लिए अकादमी में वापिस आते है एवं विचार-मंथन द्वारा सृजनात्मक समाधान सुझाकर तथा मौलिक विचारों द्वारा कार्यक्षेत्र में आने वाली समस्याओं का हल सुझातेहैं.चरण -2 के व्याख्यान, कार्यकलाप तथा कार्यभार प्रथम चरण तथा सेवाकालीन प्रशिक्षण के दौरान भारतीय लेखा परीक्षा तथा लेखांकन के कार्यों के ज्ञान तथा अनुभव को मजबूत तथा सुदृढ़ करने पर केंद्रित होतेहैं.प्रशासन तथा कर्मिककार्योंसे संबधित विभिन्न मुद्धे जिनका प्रशिक्षु अधिकारियों को विभिन्न कार्यालयों मे कार्यभार ग्रहण करने पर सामना करना पड़ता है पर भी चर्चा की जाती है. समूह प्रस्तुति (Group presentation) केस स्टड़ी तथा विचार- विमर्श (Discussion) के माध्यम से विचारों तथा अनुभवों के आदान- प्रदान पर ध्यान केंद्रित किया जाता हैं.प्रशिक्षु अधिकारियों में नेतृत्व के गुणों के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है. प्रशिक्षु अधिकारियों को अकादमी में आने वाले प्रशिक्षु अधिकारियों के वरिष्ठ बैच के साथ बड़े पैमाने पर बातचीत करने का अवसर मिलता है| वे खेल प्रतियोगिता करते हैं, तथा अपने सेवा सहयोगियों के साथ अच्छे संबंध तथा सहानुभूति बनातेहैं|
दूसरे चरण का एक अत्ंयत महत्त्वपूर्ण घटक विदेशी (एस.ए.आई.)से सम्बद्ध होना होता है जहाँ पर प्रशिक्षु अधिकारियों को किसी विदेशी सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थान के शैक्षिक भ्रमण पर भेजा जाता है ताकि अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को समझने से उनके ज्ञान में वृद्धि हो सके|
अकादमी ने 1990 बैच से प्रशिक्षु अधिकारियों से सतत् कार्य संपादन पर अधारित सर्वांगीण प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए पदक (Medals) तथा प्रमाण पत्र प्रदान करना शुरू किया। तीन सबसे योग्य प्रशिक्षु अधिकारियों को विदाई समारोह में सम्मानित किया जाता है। विदाई समारोह से चरण-2 का प्रशिक्षण समाप्त हो जाता है जिसके बाद सभी प्रशिक्षु अधिकारी अपने- अपने निर्दिष्ट कार्यालयों में उप महालेखाकार के रूप में पद ग्रहण करते है|