Guidelines on Quality Assurance and Control Mechanism

गुणवत्ता आश्वासन और नियंत्रण तंत्र पर दिशानिर्देश

परिचय

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में तीन स्तरीय गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता निगरानी तंत्र की परिकल्पना की गई है।

  • पहला स्तर पीआईयू/निर्माण कार्य के प्रभारी पीआईयू के वरिष्ठ इंजीनियर के रूप होगा। ठेकेदार गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं की स्थापना करेगा और अनुबंध में निर्धारित परीक्षण पूरे करवाएगा। परीक्षण के परिणाम निर्धारित गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर में दर्ज किए जाएंगे। पीआईयू के इंजीनियर पैराग्राफ 3 में वर्णित प्रतिशतता के अनुसार परीक्षण किए जाने के साक्षी रहेंगे। सभी संबंधित अधिकारी गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर में अपनी टिप्पणियां दर्ज करेंगे।
  • दूसरी स्तर में राज्य गुणवत्ता नियंत्रण समन्वयक (एसक्यूसी) और पीआईयू से स्वतंत्र रूप से नोडल एजेंसी द्वारा नियुक्त कर्मचारियों द्वारा समय-समय पर किए जाने वाले निरीक्षण शामिल होंगे।
  • तीसरे स्तर में एनआरआरडीए द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर्स (एनक्यूएम) शामिल होंगे, जो राज्य/केंद्रीय संगठनों से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अभियंता होंगे। ये एनक्यूएम मुख्य रूप से इस बात की पुष्टि करने के लिए कि कार्यक्रम कार्यान्वयन और राज्य गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली संतोषजनक ढंग से काम कर रही है, प्राथमिकता सूची से औचक नमूनाकरण के आधार पर पीएमजीएसवाई का गुणवत्ता परीक्षण करेंगे। एनक्यूएम से अपेक्षा की जाती है कि वे विशिष्ट कार्य स्तर पर समस्याओं का पता लगाने के अलावा प्रक्रियागत पहलुओं से संबंधित रचनात्मक सुझाव भी प्रदान करें। इस संबंध में एनक्यूएम द्वारा उठाए गए मुद्दों और एनआरआरडीए की टिप्पणियों पर अनुपालन की रिपोर्टिंग के लिए एसक्यूसी जिम्मेदार होंगे।

गणवत्ता नियंत्रण पुस्तिका और गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर

सड़क के कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना उन राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की जिम्मेदारी है जो कार्यक्रम को लागू कर रहे हैं। इसमें मार्गदर्शन के लिए एनआरआरडीए ने एक गुणवत्ता नियंत्रण पुस्तिका प्रकाशित की है, जिसका गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पालन किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम के तहत सड़क के प्रत्येक निर्माण कार्य के लिए गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर हमेशा बनाए रखा जाएगा। ठेकेदारों को तब तक भुगतान नहीं किया जाएगा जब तक ग्रामीण सड़क नियमावली और गुणवत्ता नियंत्रण पुस्तिकाओं में निर्धारित अनिवार्य परीक्षण नहीं किए जाते, और इनके परिणाम विनिर्देशों के अनुसार नहीं पाए जाते। गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर दो भागों में रखा जाएगा। पहला भाग गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर – परीक्षणों संबंधी रिकॉर्ड और दूसरा भाग परीक्षण तथा गैर-अनुरूपता रिपोर्टों का सारांश होगा।

  • रजिस्टर भाग- I: रजिस्टर का पहला भाग बुनियादी गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों के लिए जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा आयोजित सभी गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों से संबंधित रजिस्टर है। अनुबंध दस्तावेज में ठेकेदार द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण के प्रावधान के अनुसार, प्रत्येक सड़क निर्माण कार्य के लिए ठेकेदार को गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर जारी किया जाएगा। यह रजिस्टर सदैव कार्य स्थल पर उपलब्ध रहेगा। इस रजिस्टर को किसी भी स्थिति में साइट से दूर नहीं ले जाया जाएगा। रजिस्टर के पहले भाग में तीन खंड होंगे:
    • खंड 1: मिट्टी की खुदाई संबंधी कार्य
    • खंड 2: ग्रेनुलर निर्माण
    • खंड 3: बिटुमिनस निर्माण
  • रजिस्टर पार्ट- II: रजिस्टर का दूसरा हिस्सा आयोजित किए गए परीक्षणों के सारांश और गैर-अनुरूपता रिपोर्ट का रिकॉर्ड है। इसका रखरखाव कार्यस्थल के प्रभारी अधिकारी द्वारा किया जाएगा जो कि सहायक अभियंता के पद के नीचे नहीं होना चाहिए।
  • गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर उसी तरीके से जारी किया जाएगा जिस तरह से निर्माण कार्य के लिए मापन पुस्तिका जारी की जाती है। हर रजिस्टर को पृष्ठांकित होना चाहिए और कोई भी पृष्ठ हटाया नहीं जाना चाहिए। गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर जारी करने संबंधी रजिस्टर को पीआईयू प्रमुख द्वारा संभाला जाएगा।
  • ऐसे पहाड़ी रास्तों के मामले में, जहाँ केवल फॉर्मेशन कटिंग के काम को निष्पादित किया जाना हो, वहां सीबीआर और संघनन संबंधी परीक्षणों को छोड़कर, खुदाई संबंधी खंड में दिखाए गए अन्य परीक्षणों की आवश्यकता शायद नहीं हो। ऐसे मामलों में, प्रारूपों की आवश्यकता नहीं होगी।
  • भाग 1 और भाग 2 के परीक्षण प्रारूपों को गुणवत्ता नियंत्रण पुस्तिका के दिशानिर्देशों के अनुसार भरा जाएगा।

गुणवत्ता नियंत्रण का पहला स्तर

कार्यक्रम क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) प्रमुख या कार्यकारी अभियंता अपने प्रभार के तहत आने वाले निर्माण कार्यों में गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उत्तरदायी हैं। सभी अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों के लिए वह जिम्मेदार है। पीएमजीएसवाई के मानक बोली दस्तावेज के अनुसार अनुबंध ठेकेदार फील्ड प्रयोगशालाओं की स्थापना की व्यवस्था करता है। गुणवत्ता नियंत्रण के पहले स्तर के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का सुझाव दिया जाता है।

  • उचित गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों के लिए आधिकारिक जिम्मेदारी कार्यक्रम कार्यान्वयन इकाई स्तर (पीआईयू) पर है। यदि गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण के लिए ढांचागत व्यवस्था उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी ठेकेदार की हो, तो निम्नलिखित जांच तंत्र निर्धारित किया जा सकता है।
    • सभी परीक्षण ठेकेदार द्वारा नामित योग्य कर्मचारियों द्वारा किए जाने चाहिए और उसके द्वारा गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर भाग-I में इनका रिकॉर्ड रखा जाना चाहिए।
    • 50% परीक्षण निर्माण कार्य के प्रभारी जेई की उपस्थिति में किए जाने चाहिए और जेई को गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर भाग-1 में अपनी टिप्पणियों को दर्ज करना चाहिए।
    • 20% परीक्षण निर्माण कार्य के प्रभारी एई की उपस्थिति में किए जाने चाहिए और एई को गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर भाग -1 में अपनी टिप्पणियों को दर्ज करना चाहिए।
    • 5% परीक्षण निर्माण कार्य के प्रभारी ईई/पीआईयू की उपस्थिति में किए जाने चाहिए और ईई/ पीआईयू को गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर भाग -1 में अपनी टिप्पणियों को दर्ज करना चाहिए। ईई/ पीआईयू यह भी सुनिश्चित करेगा कि गैर-अनुरूपता रिपोर्ट समयबद्ध तरीके से जारी की जाए और ठेकेदार नीचे वर्णित पैराग्राफ (ख) में वर्णित तंत्र के माध्यम से निर्धारित समय के भीतर इस पर कार्रवाई करे।
    • अधीक्षण अभियंता (एसई), निर्माण कार्यों पर उनके भ्रमण के दौरान गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों का पर्यवेक्षण करेंगे और गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर भाग-I में उनकी टिप्पणियां दर्ज करेंगे। एसई यह निगरानी करेगा कि गैर-अनुरूपता रिपोर्टें समयबद्ध तरीके से जारी की जाती हों और ठेकेदार निर्धारित समय के भीतर इस पर कार्रवाई करता हो।
    • मुख्य अभियंता (सीई), निर्माण कार्यों पर उनके भ्रमण के दौरान गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षणों का पर्यवेक्षण करेंगे और गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर भाग-I में उनकी टिप्पणियां दर्ज करेंगे। सीई यह भी समीक्षा करेंगे कि गैर-अनुरूपता रिपोर्टें समयबद्ध तरीके से जारी की जाती हों और ठेकेदार निर्धारित समय के भीतर इस पर उपचारात्मक कार्रवाई करे।
  • प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में सहायक अभियंता द्वारा सहायक अभियंता को निर्धारित प्रोफार्मा में परीक्षणों का मासिक विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यकारी अभियंता इस विवरण की नियमित रूप से समीक्षा करेंगे ताकि यह देखा जा सके कि गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण वांछित बांरबांरता के अनुसार और आवश्यक सटीकता के अनुरूप किए जा रहे हों। ईई यह भी देखेंगे कि जब भी गैर-अनुरूपता का मामला पाया जाता है तब एई द्वारा गैर-अनुरूपता रिपोर्ट द्वारा जारी की जाती हो और गैर-अनुरूपता रिपोर्ट पर ठेकेदार द्वारा तुरंत कार्रवाई की जाए। ठेकेदार को होने वाले भुगतान को गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण विवरणों के अनुसार विनियमित किया जाना चाहिए।

गुणवत्ता नियंत्रण का दूसरा स्तर

गुणवत्ता नियंत्रण संरचना के दूसरे स्तर के रूप में, राज्य सरकार द्वारा गठित/नियुक्त राज्य गुणवत्ता नियंत्रण इकाइयों/मॉनिटरों द्वारा कार्यकारी अभियंता/पीआईयू से स्वतंत्र रूप से समय-समय पर निर्माण कार्यों के निरीक्षण किए जाएंगे। गुणवत्ता निगरानी का यह स्तर बहुत महत्वपूर्ण है और इसे यह पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है कि निष्पादन एजेंसी विनिर्देशों के अनुरूप गुणवत्ता नियंत्रण कर रही हो। राज्य इस काम के लिए किसी एजेंसी को नामित कर सकते हैं या कार्यकारी अभियंता और उससे ऊपर के स्तर के सेवानिवृत्त अधिकारियों को नियुक्त कर सकते हैं। राज्य सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे इस स्तर पर समुचित कार्य सुनिश्चित करने के लिए अनुपूरक दिशानिर्देश जारी करें। राज्य स्तरीय गुणवत्ता निगरानी के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

  • अधीक्षण अभियंता (एसई) या उससे ऊपर के स्तर का एक राज्य गुणवत्ता नियंत्रण समन्वयक (एसक्यूसी) होना चाहिए। समन्वयक के कार्य निम्नानुसार होने चाहिए:
    • गुणवत्ता नियंत्रण के पहले स्तर की व्यवस्थाओं का समन्वय और पर्यवेक्षण।
    • राज्य गुणवत्ता निगरानी व्यवस्था की गतिविधियों का समन्वय और नियंत्रण करना, और राज्य गुणवत्ता मॉनिटरों की रिपोर्टों पर कार्रवाई का संकलन सुनिश्चित करना।
    • राष्ट्रीय गुणवत्ता निगरानी व्यवस्था की गतिविधियों को सुगम बनाना तथा समन्वय करना और राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटरों की रिपोर्टों पर कार्रवाई का संकलन सुनिश्चित करना।
    • एसक्यूएम और एनक्यूएम की रिपोर्टों और उन पर की गई कार्रवाई के आधार एसक्यूएम दौरों का मासिक सारांश और वार्षिक गुणवत्ता रिपोर्ट तैयार करना।
  • कार्यक्रम जिलों में गुणवत्ता की देखरेख के लिए राज्य सरकार द्वारा राज्य गुणवत्ता इकाइयों/मॉनिटरों (एसक्यूएम) का गठन/नियुक्ति की जानी चाहिए। ये मॉनीटर निष्पादन एजेंसी से स्वतंत्र होने चाहिए और इनके द्वारा राज्य गुणवत्ता नियंत्रण समन्वयक को रिपोर्ट की जानी चाहिए। गुणवत्ता नियंत्रण संगठन, एजेंसियां या ऐसे व्यक्ति जिनके पास सड़क कार्यों की गुणवत्ता नियंत्रण में अनुभव हो, उन्हें इस उद्देश्य के लिए नियुक्त किया जा सकता है।
  • एसक्यूएम के कार्यक्रम को इस तरह तैयार किए जाने चाहिए कि प्रत्येक निर्माण कार्य का कम से कम दो बार निरीक्षण किया जाए। प्रत्येक निर्माण कार्य का पहला निरीक्षण निर्माण कार्य के निर्माणाधीन होने के दौरान किया जाना चाहिए और अंतिम निरीक्षण प्रत्येक कार्य के पूरा होने पर, उसके पूर्ण होने के एक महीने के भीतर किया जाना चाहिए।
  • एसक्यूसी मॉनिटरों (ब्लॉक/जिला वार) के लिए मासिक समय-सारणी तैयार कर सकता है ताकि व्यवस्थित कवरेज सुनिश्चित हो सके। राज्य गुणवत्ता मॉनिटरों की टिप्पणियों के अनुपालन की निगरानी के लिए अच्छी तरह से निर्धारित प्रणाली तैयार की जानी चाहिए।
  • एसक्यूएम को निरीक्षण रिपोर्ट के लिए विस्तृत प्रारूप दिया जाना चाहिए जिसमें निम्नलिखित पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए।
    • फुटपाथ और आर-पार निकासी निर्माण कार्यों का डिजाइन।
    • निर्माणस्थल आवश्यकताओं से संबंधित अनुमानों में किए गए प्रावधान।
    • अनुबंध का प्रबंधन, ठेकेदार द्वारा योग्य कर्मचारियों की तैनाती और ठेकेदार द्वारा कार्यात्मक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला की स्थापना।
    • निर्माण कार्यक्रम और कार्य की प्रगति।
    • निष्पादन पद्धति और विनिर्देशों का पालन।
    • गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं में व्यवस्था।
    • परीक्षणों का रिकॉर्ड - गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर और उनका अद्यतन रखरखाव।
    • गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण की सटीकता, गैर-अनुरूपता रिपोर्ट (एनसीआर) जारी करना और एनसीआर पर ठेकेदार की कार्रवाई।
    • विभागीय अधिकारी/एसक्यूएम या एनक्यूएम द्वारा निरीक्षण और उनके निर्देशों का अनुपालन।
    • आर-पार निकासी निर्माण कार्यों और किनारे की नालियों का प्रावधान और निष्पादन।
    • सड़क साज-सज्जा, लोगो, साइनबोर्ड और सावधानी बोर्ड।
    • ठेकेदारों को समय पर भुगतान।
    • निष्पादन एजेंसी के कर्मचारियों और ठेकेदार के तकनीकी ज्ञान सहित अन्य मुद्दे।
  • एसई/सीई को प्रतिलिपि प्रदान करते हुए राज्य गुणवत्ता समन्वयक निगरानी रिपोर्टें परियोजना कार्यान्वयन इकाई को भेज सकता है। अनुपालन रिपोर्टें एसई/सीई के माध्यम से एसक्यूसी को भेजी जानी चाहिए। अनुपालन की रिपोर्ट में देरी के सभी मामलों और स्वीकार्य गुणवत्ता से विचलन के प्रमुख मामलों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
  • एसक्यूएम, पीआईयू और ठेकेदारों के साथ बैठकें कर सकते हैं और गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए फील्ड/जिला प्रयोगशालाओं का निरीक्षण कर सकते हैं।
  • डिजाइन, परीक्षण और निष्पादन से संबंधित मामलों में एसक्यूसी/एसक्यूएम को राज्य तकनीकी एजेंसियों के साथ भी बातचीत करनी चाहिए।
  • एसक्यूसी प्रत्येक माह जिलावार टिप्पणियां देते हुए एसक्यूएम दौरों के सारांश को संकलित करेगा और निर्धारित प्रारूप में डीपीआईयू, सीई, नोडल विभाग और एनआरआरडीए को प्रतियां भेजेगा।
  • राज्य गुणवत्ता नियंत्रण समन्वयक को राज्य गुणवत्ता निगरानी प्रणाली का विश्लेषण करते हुए वार्षिक रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए और राज्य नोडल एजेंसी के माध्यम से इसे एनआरआरडीए को भेजा जाना चाहिए। विश्लेषण में एसक्यूएम रिपोर्टों, एनक्यूएम रिपोर्टों के निष्कर्ष, विशिष्ट मामलों में की गई कार्रवाई और पाई गईं प्रणालीगत खमियों और इनके प्रति उठाए गए उपचारात्मक कदम शामिल होने चाहिए।

गुणवत्ता नियंत्रण का तीसरा स्तर

गुणवत्ता निगरानी का तीसरा स्तर गुणवत्ता निगरानी के पहले और दूसरे स्तर पर अपनाई जा रही प्रणालियों और प्रक्रियाओं के सत्यापन और समीक्षा की दिशा में अधिक उन्मुख होता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्दिष्ट अपेक्षाओं को पूरा किया जा रहा है।

गुणवत्ता नियंत्रण संरचना के तीसरे स्तर के रूप में, एनआरआरडीए स्वतंत्र राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर्स (एनक्यूएम) को संलग्न करता है, जिनमें से ज्यादातर राज्य/केंद्रीय संगठनों से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अभियंता हैं। एनक्यूएम को आगामी दो महीनों के कार्यक्रम के अनुसार, अगले दो माह में होने वाले निरीक्षणों के संबंध में अनुरोध पत्र दिया जाता है। एनक्यूएम से यह अपेक्षित है कि वे प्रत्येक दो महीनों में किसी एक राज्य की एकल यात्रा में तीन जिलों का निरीक्षण करें। एनक्यूएम को उपयुक्त कार्यक्रम को इस तरह अंतिम रूप देना चाहिए कि प्रत्येक जिले में 2 से 4 निर्माण कार्यों (2 निर्माणाधीन कार्य या 1 निर्माणाधीन कार्य और 2 पूर्ण कार्य या 4 पूर्ण निर्माण कार्य) का सामान्य रूप से निरीक्षण करते हुए प्रत्येक जिले में तीन दिनों से अधिक नहीं बिताने चाहिए। राज्यों, जिलों के साथ-साथ ऐसे ब्लॉक जहां निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया जाना हो, को राज्यों को आवंटित पत्र में इंगित किया जाएगा। मॉनिटरों की निरीक्षण रिपोर्ट के लिए प्रारूप निर्धारित किए गए हैं (भाग- II का प्रारूप डी-1 और डी-2) और एनक्यूएम के लिए पीआईयू, एसक्यूसी और एनआरआरडीए को रिपोर्ट की प्रति प्रस्तुत करना आवश्यक है। एनक्यूएम अपने निरीक्षण के निष्कर्षों की समीक्षा करने के लिए और पीआईयू क तहत अन्य सभी निर्माण कार्यों में बेहतर गुणवत्ता प्राप्त करने हेतु सुझाव देने के लिए निरीक्षण के पश्चात सभी इंजीनियरों के साथ विचार-विमर्श का आयोजन करेगा। एनक्यूएम से एसओसी और एसटीए से भी बातचीत करने की उम्मीद की जाती है जो कि उनके लिए सुविधाजनक हो।

राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटरों से अपेक्षित है कि वे उन्हें जारी किए गए दिशा-निर्देशों में प्राथमिकता के अनुसार निर्माण कार्यों का दौरा करें (पैराग्राफ सं. 2 के तहत “निरीक्षण के लिए कार्य की प्राथमिकता तय करना”)। वे राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर की निरीक्षण रिपोर्ट के प्रारूप के अनुसार किए गए परीक्षणों और प्राप्त परीक्षण निष्कर्षों को इंगित करते हुए सामग्री और कारीगरी के संदर्भ में निर्माण कार्य के प्रत्येक भाग का मूल्यांकन करेंगे। वे ठेकेदार/ डीपीआईयू/ एसक्यूएम अनुसार परीक्षण/निरीक्षण के संबंध में परिणाम का विश्लेषण करेंगे। एनक्यूएम द्वारा निरीक्षण रिपोर्ट की एक प्रति डीपीआईयू के प्रमुख को सौंप दी जाएगी।

राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर्स सभी अलग-अलग निर्माण कार्यों के अनुसार निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे, जिसमें उनके द्वारा निरीक्षित कार्यों के साथ-साथ उनके द्वारा जांची गई अन्य निरीक्षण रिपोर्टों के आधार पर सामान्य विश्लेषण भी शामिल होगा। राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर्स की भूमिका चूंकि केवल 'छिद्रान्वेषण' के बजाय मार्गदर्शन और सुधार संबंधी भी है, इसलिए विश्लेषण अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है और इसे निम्नलिखित मसलों सुधार लाने के लिए प्रणालीगत खामियों/कमियों और सुझावों को वर्णित करते हुए ध्यानपूर्वक तैयार किया जाना चाहिए:

  • डिजाइन और अनुमान
  • निष्पादन और पर्यवेक्षण
  • गुणवत्ता नियंत्रण
  • ठेकेदारी आदि

एनक्यूएम की रिपोर्ट का विश्लेषण एनआरआरडीए में किया जाता है और राज्यों से अनुरोध किया जाता है कि वे राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटरों की रिपोर्ट पर जल्द से जल्द उचित कार्रवाई करें।

गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएं

राज्यों से यह अपेक्षित है कि वे ठेकेदारों द्वारा फील्ड स्तर की गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं की स्थापना किया जाना सुनिश्चित करें। राज्यों से यह भी अपेक्षित है कि वे ग्रामीण सड़क नियमावली के प्रावधानों के अनुसार जिला स्तरीय प्रयोगशालाओं की स्थापना/संचालन सुनिश्चित करें। जिला प्रयोगशालाओं में उपकरणों और प्रशिक्षित कर्मचारियों का प्रबंध करना आवश्यक है। गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण के उच्च स्तर के लिए इंजीनियरिंग कॉलेजों और अन्य संस्थानों की प्रयोगशालाओं का भी उपयोग किया जाना चाहिए। परीक्षण की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए, राज्य सरकारें ऐसे संस्थानों की प्रयोगशालाओं को इम्पैनल कर सकती हैं और विभिन्न परीक्षणों के संचालन के लिए दरों को निर्धारित कर सकती हैं। एनआरआरडीए गुणवत्ता पुस्तिकाओं में वर्णित अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए जिला और क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को उपकरण उपलब्ध करवाने के लिए धनराशि का प्रावधान करता है।

प्रयोगशालाओं के कर्मचारियों के लिए भी नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि परीक्षण प्रक्रिया और परिणामों की सटीकता को सुनिश्चित किया जा सके।

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