एन.आर.आई.डी.ए. (चिकित्सा परिचर्या) उपनियम, 2020

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(*16 फरवरी, 2021 को आयोजित अपनी बैठक में 25वीं आम सभा द्वारा अनुमोदित )

शीर्षक और प्रारंभ

राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी (एनआरआईडीए) (चिकित्सा परिचर्या) उपनियम, 2020 के रूप में संदर्भित किया जाएगा।

कार्यक्षेत्र (दायरा)

ये उपनियम निम्नलिखित पर लागू होंगे: 

  • सहायक कर्मियों को छोडकर एजेंसी के पूर्णकालिक कर्मचारी और उनके परिवार।
  • उन लोगों, जो विशेष रूप से इन उपनियमों से बाहर हैं और अपने मूल संवर्ग/संगठन में उपलब्ध सुविधाओं द्वारा शासित किया जाना चुनते हैं, को छोड़कर एजेंसी में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले और उनके परिवार।

परिभाषाएं

इन उपनियमों के प्रयोजन के लिए:

i. ’एजेंसी’ का अर्थ है राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी।

ii. ’अधिकृत चिकित्सा परिचारक’ का अर्थ हैः

  •   महानिदेशक, राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी द्वारा नियुक्त एक चिकित्सा अधिकारी चाहे वह भारत सरकार की सेवा में कार्यरत हो या न हो,
  • अस्पताल के मामले में एजेंसी के अधिकारियों की चिकित्सा के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिसूचित अस्पताल के प्रधान चिकित्सा अधिकारी।

iii. ’सक्षम प्राधिकारी’ - महानिदेशक, राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी या ऐसा अन्य प्राधिकारी जिसे इन उपनियमों के संबंध में महानिदेशक द्वारा शक्तियां प्रत्यायोजित की जा सकती हैं।

iv. ’नियंत्रक अधिकारी’-एजेंसी के कर्मचारियों की प्रत्येक श्रेणी के लिए नियंत्रक अधिकारी होने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा घोषित प्राधिकारी।

v. ’कर्मचारी’-कोई भी व्यक्ति जो एजेंसी में नियमित रूप से नियुक्त कर्मचारी (भारत सरकार या राज्य सरकार/ यू.टी. प्रशासन या किसी अन्य स्वायत्त या अर्ध-सरकारी संगठन से प्रतिनियुक्ति पर) के रूप में सेवा कर रहा है। एजेंसी में सलाहकार के रूप में या आउटसोर्सिंग के लिए किसी अनुबंध के तहत कार्य कर रहे व्यक्तियों को इस परिभाषा के क्षेत्र और इन उपनियमों से विशेष रूप से अलग रखा गया है।

vi. ’परिवार’ का अर्थ है कर्मचारी की पत्नी या पति, जैसा भी मामला हो, और पूरी तरह से कर्मचारी पर निर्भर और सामान्यतः कर्मचारी के साथ रहने वाले माता-पिता, बहनें, विधवा बहनें, विधवा पुत्रियां, अवयस्क भाई, बच्चे, सौतेले बच्चे, तलाकशुदा/पति से अलग हुई बेटियाँ और सौतेली माँ। इन उपनियमों के प्रयोजन के लिए किसी कर्मचारी के पुत्रों/पुत्रियों की उस पर आश्रित मानने की पात्रता पर विचार किया जाना निम्नलिखित के अध्यधीन होगाः

क) पुत्रः जब वह कमाना शुरू कर देता है या 25 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है, जो भी पहले हो।

ख) बेटीः आयु सीमा पर विचार किए बिना, जब वह कमाना शुरू कर देती है या शादी कर लेती है, जो भी पहले हो।

ग) किसी भी प्रकार की स्थायी (शारीरिक या मानसिक) दिव्यांगता से पीड़ित पुत्र: आयु की कोई सीमा नही है।

टिप्पणी.

1. – परिवार के किसी सदस्य को आश्रित तभी माना जाता है, जब उसकी पेंशन आदि सहित सभी स्रोतों से प्रतिमाह आय रुपये 3500/- से कम है। कर्मचारी के पत्नी/पति के मामले में यह शर्त लागू नहीं होगी।

टिप्पणी.

2. – परिवार के सदस्य कर्मचारी के साथ न रहने पर भी चिकित्सा परिचर्या और उपचार का लाभ उठा सकते हैं ।

vii. जब पति और पत्नी दोनों सेवारत हैं:

क) जब एक कर्मचारी की पत्नी/पति केंद्र/राज्य सरकार आदि या केंद्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक रूप से वित्तपोषित किसी अन्य निकाय/निजी संगठन में सेवारत है जो अपने कर्मचारियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते हैं तो कर्मचारी, एजेंसी में प्रदान की जाने वाली चिकित्सा सुविधाएं या जिसमें वह कार्यरत है, उस संगठन द्वारा प्रदान की जाने वाली चिकित्सा सुविधाएं लेने का विकल्प चुनने के हकदार होंगे।

ख) जब पति और पत्नी दोनों एजेंसी में सेवारत हैं, तो उनके पद के अनुसार उन्हें, साथ ही साथ उनके पात्र आश्रितों को चिकित्सा सुविधा का लाभ उठाने की अनुमति दी जा सकती है। इस उद्देश्य के लिए उन्हें अपने संबंधित नियंत्रक अधिकारियों को एक संयुक्त घोषणा प्रस्तुत करनी चाहिए कि पत्नी/पति और अपने आश्रितों की चिकित्सा पर किए गए खर्च के संबंध में चिकित्सा की प्रतिपूर्ति के दावे को दोनों में से कौन प्राथमिकता देगा। इस प्रक्रिया का अनुसरण उपर्युक्त (क) के तहत कवर किए गए लोगों के लिए भी किया जा सकता है।

ग) यदि पति या पत्नी विभिन्न चिकित्सा उपनियमों द्वारा शासित हैं और अपने-अपने ड्यूटी स्टेशनों पर अलग-अलग रह रहें हैं, तो, संबंधित कर्मचारी, उपनियमों के तहत कवर किए गए स्वयं और साथ में रहने वाले और परिवार के सदस्यों के संबंध में एजेंसी के उपनियमों के तहत चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। बशर्तें कि,

i. दूसरे संगठन में सेवारत पति/पत्नी कोई निश्चित/मासिक चिकित्सा भत्ता प्राप्त नहीं करता/ करती है ।

ii. कर्मचारी अपने पति / पत्नी के नियोक्ता का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है कि वह पति/पत्नी और उनके परिवार के सदस्य के संबंध में चिकित्सा सुविधाओं का दावा नहीं कर रहा/रही है।

टिप्पणी.

1. पति या पत्नी के अलावा परिवार के सदस्यों को कर्मचारी पर पूरी तरह से आश्रित होना चाहिए

टिप्पणी.

2. प्रत्येक कर्मचारी अपनी नियुक्ति पर या एजेंसी में शामिल होने पर निम्नलिखित के लिए एक औपचारिक घोषणा पत्र प्रस्तुत करेगा/करेगीः

  •   स्वयं पर आश्रित अपने परिवार के सदस्यों की जानकारी देते हुए एजेंसी में उसके नियोजन के दौरान आश्रितों के संबंध में हुए किसी भी परिवर्तन की जानकारी तत्काल नियंत्रण अधिकारी को दी जाएगी।
  • उपर्युक्त उपनियम (अपप) (क) के अनुसरण में किए जाने वाले विकल्प को दर्शाते हुए।
  • उपर्युक्त उपनियम (अपप) (ख), यदि लागू हो, के अनुसरण में एक संयुक्त घोषणा।

viii. ‘अधिकृत चिकित्सा‘ परिचारक द्वारा चिकित्सा परिचर्या उनके परामर्श कक्ष या अस्पताल में, जिससे वह संबद्ध है, या कर्मचारी के निवास पर की गई परिचर्या शामिल है। इसमें निम्नलिखित शामिल होगा-

क) निदान के प्रयोजन के लिए उपलब्ध और अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा आवश्यक समझे गये सभी नैदानिक परीक्षण या परीक्षा की अन्य विधियां तथा;

ख) जैसा कि एक अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा आवश्यक समझा जाय, विशेषज्ञ या किसी अन्य चिकित्सा अधिकारी के साथ इस तरह का परामर्श

ix. ’रोगी’ - एक कर्मचारी या उसके परिवार का कोई सदस्य जिस पर ये उपनियम लागू होते हैं और जो बीमार पड़ गए हैं और उन्हें चिकित्सा की आवश्यकता है।

x. ’अधिसूचित अस्पताल’ का अर्थ ऐसे अस्पतालों, (सरकारी/अर्ध सरकारी/निजी) जैसा कि एजेंसी के कर्मचारियों और उनके परिवार के इलाज के लिए सामान्य या विशेष चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के प्रयोजन से सक्षम प्राधिकारी द्वारा समय≤ पर अधिसूचित किया जा सकता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सी.जी.एच.एस. के तहत सूचीबद्ध स्वास्थ्य प्रदाता संगठनों को अधिसूचित अस्पताल के रूप में समझा जा सकता है।

xi. ’उपचार’ - का अर्थ है अधिसूचित अस्पताल (अस्पतालों) जिसमें कर्मचारी का इलाज किया जाता है, में उपलब्ध सभी चिकित्सा और शल्य चिकित्सा सुविधाओं का उपयोगः

  • ऐसे पैथोलॉजिकल, बैक्टीरियोलॉजिकल या अन्य तरीकों का होना, जिन्हें अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा आवश्यक समझा जाय; और इसमें निम्ननलिखित शामिल हैं।
  • ऐसी दवाओं, टीकों, सीरा या अन्य चिकित्सीय पदार्थो की आपूर्ति जो आमतौर पर सरकारी या अधिसूचित अस्पतालों में उपलब्ध होते हैं ।
  • फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, मनोरोग, एंटी-रेबीज उपचार और इस तरह के अन्य उपचार जैसा कि अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा आवश्यक समझे जा सकते हैं ।
  • ऐसा आवास और आहार जो सामान्यतः अस्पताल में प्रदान किया जाता है और उसकी स्थिति के अनुकूल है;
  • ऐसी नर्सिंग जो आमतौर पर अस्पताल में भर्ती रोगियों को प्रदान की जाती है; और
  • विशेषज्ञ के साथ परामर्श।

लेकिन कर्मचारी के अनुरोध पर उपर्युक्त से बेहतर आहार या आवास का प्रावधान इसमें शामिल नहीं होगा ।

इन उपनियमों में प्रयुक्त कोई अन्य शब्द, लेकिन यहां ऊपर परिभाषित नहीं किया गया, को केंद्रीय सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम, 1944 के नियम 2 के तहत परिभाषित अर्थ के रूप में समझा जायेगा।

चिकित्सा लाभ

क) एक कर्मचारी अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा निःशुल्क चिकित्सा परिचर्या का हकदार होगा; इस तरह की चिकित्सा परिचर्या के लिए उसके द्वारा भुगतान की गई किसी भी राशि की प्रतिपूर्ति एजेंसी द्वारा दावे की यथार्थता के संबंध में नियंत्रक अधिकारी की संतुष्टि के अधीन प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा प्रस्तुत अनिवार्यता प्रमाण पत्र (अनुलग्नक-3) की प्रस्तुति पर किया जायेगा।

ख) कर्मचारियों को आहार शुल्क, जन्म प्रमाण पत्र आदि पर होने वाले खर्च को वहन करना होगा क्योंकि ये उपचार का हिस्सा नहीं हैं। इसके अलावा खाद्य मूल्य मदों की परिभाषा के अंतर्गत आने वाली मदें भी कर्मचारियों के लिए प्रतिपूर्ति योग्य नहीं हैं। यदि अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा कोई आहार प्रतिबंध लगाये गये हैं तो, इनडोर उपचार के दौरान कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा अधिसूचित अस्पतालों को भुगतान किए गए आहार शुल्क की पूरी प्रतिपूर्ति मामले की प्राथमिकता के आधार पर सक्षम प्राधिकारी के विवेक पर की जा सकती है।

ग) नियंत्रण अधिकारी आवश्य्ाक समझे तो वह दावे की सत्यता के सत्यापन के लिए दावेदारों से दावा कागजातों के साथ मूल औषधि परामर्शी पर्चों की मांग कर सकता है।

परामर्श शुल्क

अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा लिए गए पहले परामर्श के लिए परामर्श शुल्क रु. 400/- और बाद में किए जाने वाले प्रत्येक अनुवर्त परामर्श के लिए रु. 250/- के परामर्श शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी तथापि सक्षम प्राधिकारी समय समय पर समीक्षा कर सकते है और यदि आवश्यक हो तो उन्हें संशोधित कर सकते हैं।

टिप्पणी::

क) रात्रि 10.00 बजे से प्रातः 6.00 बजे तक की अवधि के दौरान की गई विजिट के लिए सामान्य परामर्श शुल्क की प्रतिपूर्ति निर्धारित सीमा से डेढ़ गुना तक की जा सकती है।

ख) घर पर की गई विजिट के मामले में कर्मचारी को चिकित्सक से इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा कि रोगी की स्थिति और स्वास्थ्य के मद्देनजर घर पर की गई विजिट आवश्यक थी ।

ग) परामर्श की अधिकतम सीमा जिसकी प्रतिपूर्ति एक बीमारी के संबंध में एक बार में करने की अनुमति दी जाएगी, उसकी अधिकतम संख्या तीन होगी, सिवाय इसके कि अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा प्रमाणित किया जाता है कि बीमारी के लिए लंबी अवधि की चिकित्सा की आवश्यकता है तो इस स्थिति में तीन से अधिक संख्या के परामर्श की अनुमति दी जा सकती है।

निवास पर उपचार

क) एक कर्मचारी अपने आवास पर उपचार प्राप्त कर सकता है यदि अधिकृत चिकित्सा परिचारक की राय है और वह प्रमाणित करता है कि उपयुक्त अस्पताल की अनुपलब्धता या दूरी के कारण या बीमारी की गंभीरता के कारण अस्पताल में उसका इलाज नहीं किया जा सकता है।

ख) इस प्रकार प्राप्त उपचार की लागत प्रतिपूर्ति उस राशि तक सीमित होगी, जिसकी प्रतिपूर्ति तब की जायेगी जब उसका इलाज अपने निवास पर नहीं किया गया है।

चिकित्सा परिचर्या के लिए यात्रा करने के लिए यात्रा भत्ता

क) जब रोगी के बीमार पड़ने का स्थान अधिकृत चिकित्सा परिचारक के परामर्श कक्ष से सबसे छोटे मार्ग द्वारा आठ किलोमीटर से अधिक हो तो ऐसे परामर्श कक्ष से आने-जाने के लिए रोगी यात्रा भत्ता का हकदार होगा ।

ख) यदि रोगी गंभीर बीमारी के कारण यात्रा करने में असमर्थ है, तो जहां मरीज का इलाज किया जाना है, अधिकृत चिकित्सा परिचारक वहां तक जाने-आने की यात्रा के लिए यात्रा भत्ते के हकदार होंगे ।

ग) यह बताते हुए कि चिकित्सा परिचर्या आवश्यक थी और/या रोगी गंभीर बीमारी के कारण यात्रा करने में असमर्थ था/थी अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा लिखित रूप में जारी प्रमाण पत्र यात्रा भत्ते के दावे के साथ संलग्न करना होगा।

घ) यदि रोगी का मामला इतनी गंभीर या विशेष प्रकृति का है, जिसके लिए अधिकृत चिकित्सक के अलावा किसी अन्य चिकित्सा अधिकारी से चिकित्सा परिचर्या की आवश्यकता है, तो वह निम्नलिखित कदम उठा सकता/सकती हैः-

  • रोगी को नजदीकी विशेषज्ञ या चिकित्सा अधिकारी के पास भेजें जिसके द्वारा, उनकी राय में, रोगी के लिए चिकित्सा परिचर्या आवश्यक है; या

  • यदि बीमारी के कारण रोगी यात्रा करने में असमर्थ है, तो अपने निवास पर रोगी की देखभाल करने के लिए ऐसे विशेषज्ञ या चिकित्सा विशेषज्ञ को बुलाएं ।

च) कर्मचारी, मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को लिखित/फैक्स के माध्यम से नियंत्रण अधिकारी को यथाशीघ्र सूचित करेगा/करेगी। इन यात्रा/ओं के लिए यात्रा भत्ता प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा जारी किए जाने वाले प्रमाण पत्र के आधार पर रोगी/विशेषज्ञ को देय होगा ।

छ) ऐसे उपचार के दावे अधोलिखित नियम 12 के प्रावधानों द्वारा शासित होंगे ।

दंतोपचार

क) दंतोपचार केवल इस कार्य हेतु अधिसूचित अस्पतालों से ही कराया जाना चाहिए और किसी निजी संस्थान से नहीं।

ख) कर्मचारी द्वारा अधिसूचित चिकित्सालयों में प्राप्त निम्नलिखित प्रकार के दंतोपचार के लिए किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति की जा सकती हैः

i. निष्कर्षण;

ii. स्केलिंग और गम उपचार;

iii. दांत भरना;

iv. रूट कैनाल उपचार।

ग) पायरिया और मसूड़े की सूजन के उपचार के लिए किए गए खर्च की भी प्रतिपूर्ति नियमों के तहत की जा सकती है क्योंकि यह “गम“ शब्द के तहत कवर किया गया है उपचार है।

घ) किसी भी निजी दंत चिकित्सक को अधिकृत चिकित्सा परिचारक के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा।

पूरे नकली दांतो के लिए प्रतिपूर्ति

पूरे नकली दांत लगाने में किए गए आवश्यक व्यय रुपये 2000/- केवल और एक जबड़े के दांत लगाने के लिए रु. 1000/- की अधिकतम सीमा के अधीन प्रतिपूर्ति योग्य है, बशर्ते कि एक अधिसूचित अस्पताल के डेंटल सर्जन द्वारा इसकी सलाह दी गई हो और इसे आवश्यक माना गया हो।

कर्मचारी जिसने अपने मूल संगठन में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के पक्ष में विकल्प चुना हो सकता है, उसे संबंधित प्राधिकारी द्वारा डेन्चर के प्रावधान के लिए उसके मूल विभाग में अनुमति दी जा सकती है।

पूर्ण / आंशिक डेन्चर की प्रतिपूर्ति की अनुमति केवल एक बार के लिए दी जाएगी ।

अपनी पसंद का अधिकृत चिकित्सा परिचारक चुनना

कर्मचारी से सामान्य रूप से एक अधिकृत चिकित्सा परिचारक, जो उसके निवास के नजदीक हो और उसका प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक भी हो से परामर्श करने की अपेक्षा की जाती है। हालाँकि, वह अपनी पसंद के किसी विशेष अधिकृत चिकित्सा परिचारक से परामर्श कर सकता/सकती है, बशर्ते कि नियंत्रण प्राधिकारी, जो प्रस्तुत चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों की इस प्रकार जांच कर सकता है को वह अग्रिम रूप से लिखित रूप में अपना विकल्प देता/देती है। हालांकि, इस तरह के परामर्श के लिए कर्मचारी को कोई टीए/डीए का भुगतान नहीं किया जाएगा ।

उपचार प्रणाली का विकल्प

कर्मचारियों या उनके परिवारों को एक ही बीमारी के लिए दो या दो से अधिक चिकित्सा प्रणालियों के तहत इलाज कराने की अनुमति नहीं है। लेकिन यदि अन्य चिकित्सा करने वाले संबंधित चिकित्सक(कों) की जानकारी में हो तो विभिन्न बीमारियों के लिए चिकित्सा की विभिन्न प्रणाली(यों) के तहत एक साथ चिकित्सा कराने पर कोई आपत्ति नहीं है।

आपातकालीन परिस्थितियां

अत्यधिक आपात स्थिति या अप्रत्याशित परिस्थितियों के मामले में, जब कोई कर्मचारी या उसके परिवार का सदस्य बीमार पड़ता है, तो इन उपनियमों के अनुसार किसी अन्य चिकित्सा परिचारक से भले ही वह अधिकृत चिकित्सा परिचारक न हो, वह उपचार ले सकता/सकती है। हालांकि, ऐसा प्रत्येक मामले पर नियंत्रण प्राधिकारी, जो अनुमति देने से पहले दावे की वास्तविकता के बारे में स्वयं को संतुष्ट करेगा, द्वारा गुणदोष के आधार पर विचार किया जाता है ।

यात्रा के दौरान चिकित्सा परिचर्या

कर्मचारी को दौरे के दौरान किसी ऐसे स्थान पर, जहां अधिसूचित अस्पताल नहीं है, किसी भी चिकित्सा सेवा की आवश्यकता होती है तो, इन उपनियमों के प्रयोजन के लिए सरकार द्वारा नियुक्त जिले के प्रधान चिकित्सा अधिकारी को जिले में अपने अधिकारियों की परिचर्या के लिए उसका अधिकृत चिकित्सा परिचारक माना जाएगा ।

प्रतिपूर्ति के लिए दावा

क) चिकित्सा व्यय के लिए सभी भुगतान सामान्यतः पहली बार में कर्मचारी द्वारा किए जाएंगे। तदोपरांत प्रतिपूर्ति के लिए दावा प्रस्तुत किया जाएगा। प्रतिपूर्ति के सभी दावे निर्धारित प्रपत्र (अनुलग्नक 4) में प्रस्तुत किए जाएंगे।

ख) प्रतिपूर्ति के दावे के साथ नियमित वाउचर/नकद रसीदें और चिकित्सक द्वारा निर्दिष्ट दवा के पर्चे की प्रति संलग्न किए जाएंगे।

ग) कोई दावा उपचार पूरा होने की तारीख के छह महीने के बाद प्रस्तुत किया जाए या वांछित जानकारी पूर्व में ही लिखित रूप में नियंत्रण अधिकारी को नहीं भेजी गई थी तो ऐसा दावा सामान्यतः निरस्त कर दिया जाएगा, जब तक कि देरी से दावा प्रस्तुुत किए जाने के संबंध में दिए गए कारणों, जिन्हें अभिलिखित किया जाना है और लेखा परीक्षा में परीक्षण किया जाना है से सक्षम प्राधिकारी संतुष्ट न हों।

घ) चिकित्सालय में भर्ती होने की लागत में शामिल हैं, भर्ती होने और चिकित्सालय से छुट्टी मिलने के बाद का उपचार, ओपीडी के खर्चे और दवाईयों की लागत बशर्ते कि अधिसूचित चिकित्सालय द्वारा प्रमाणित किया जाए कि ऐसे ओपीडी के खर्चे और भर्तीपूर्व /पश्चात का उपचार इंडोर उपचार का हिस्सा था और तीन महीने के अंदर उपलब्ध कराया गया था ।

च) अधिसूचित चिकित्सालय में कराई गई चिकित्सा के लिए किए गए खर्च की प्रतिपूर्ति सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के द्वारा की जाएगी।

छ) आपात स्थिति के समय जहां किसी अधिसूचित चिकित्सालय तक नहीं पहुंचा जा सका और चिकित्सा किसी दूसरे चिकित्सालय में करानी पड़ी, तो (गैर-अधिसूचित) चिकित्सालय के चिकित्सक के इस आशय के प्रमाण पत्र कि रोगी को आपातकाल की स्थिति में ही चिकित्सालय में भर्ती करना पड़ा, के आधार पर ही प्रतिपूर्ति की जाएगी। प्रमाण पत्र में आपातकाल की सही स्थिति को भी लिखना होगा।

ज) अधिसूचित अस्पताल/नर्सिंग होम के निजी वार्डों के लिए कमरे के किराए की प्रतिपूर्ति निम्नलिखित आधार पर होगीः

सीपीसी के 7 वें वेतनमान में अधिकारी द्वारा प्रति माह आहरित तदनुरूप मूल वेतन

वार्ड / कमरा पात्रता

रुपये 47,600/- तक सामान्य
रु. 47,601/- से रु. 63,100/-तक अर्ध निजी
रु. 63,101/- और इससे अधिक निजी वार्ड

एम्स, नई दिल्ली में आवास की पात्रता निर्धारित करने के लिए वेतन स्लैब इस प्रकार हैः

सीपीसी के 7 वें वेतनमान में अधिकारी द्वारा प्रति माह आहरित तदनुरूप मूल वेतन

वार्ड / कमरा पात्रता

रुपये 63,100/- तक सामान्य
रु. 63,100/- से रु. 80,900/-तक अर्ध निजी
रु. 80,901/- और इससे अधिक निजी वार्ड
   

जब भी एक अस्पताल में अग्रिम के रूप में बड़ी राशि जमा करने की आवश्यकता होती है, एजेंसी द्वारा इस तरह का भुगतान सीधे अस्पताल को किया जाएगा ।

झ) चिकित्सा परिचर्या के प्रयोजन के लिए एजेंसी के एक अधिकारी/कर्मचारी की स्थिति का निर्धारण, जिस समय वह बीमार पड़ता है उस समय उसके द्वारा आहरण किए जा रहे वास्तविक वेतन के संदर्भ में किया जाएगा ।

कैश मेमो और अनिवार्यता प्रमाणपत्र

क) दवाओं की खरीद के लिए कैश मेमो अवश्य प्राप्त करें और इसे प्राधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित कराएं। अनिवार्यता प्रमाण पत्र में निर्धारित सभी दवाओं के नाम और प्रत्येक दवा की खरीद पर खर्च की गई राशि होनी चाहिए । सभी अधिकृत चिकित्सा परिचारक प्रतिपूर्ति दावा कागजातों पर हस्ताक्षर करते समय अपना पदनाम और डिग्री स्पष्ट रूप से इंगित करेंगे ।

ख) अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र कि रोगी लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता वाली पुरानी बीमारी से पीड़ित है, उस बीमारी विशेष के लिए अनिवार्यता के प्रमाण पत्र के रूप में स्वीकार किया जाएगा। अधिकृत मेडिकल परिचारक उक्त प्रमाण पत्र के आधार पर आवश्यकता होने पर 3 महीने तक की दवाएं लिख सकता है ।

प्रतिपूर्ति के लिए पात्र मदें

क) अधिकृत चिकित्सा परिचारक द्वारा निर्धारित दवाओं की मूल्य की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

ख) अधिसूचित अस्पताल में भर्ती पूर्व और भर्ती पश्चात् के उपचार सहित प्रासंगिक विशेषज्ञता में इन्डोर/ अस्पताल में उपचार की लागत, ओपीडी खर्चों की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

ग) अधिसूचित अस्पताल में किए गए सभी पैथोलॉजिकल, बैक्टीरियोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और अन्य परीक्षणों की प्रतिपूर्ति की जाएगी। जब अधिसूचित अस्पताल की सिफारिश के आधार पर या आपात स्थिति के दौरान ऐसे परीक्षण कहीं अन्य स्थान पर कराए जाते हैं तो खर्चे उस अधिसूचित अस्पताल, जो ऐसे परीक्षणों को निर्धारित करता है, या केन्द्र सरकार के अस्पताल में लागू दरों जैसा भी मामला हो, की दरों के बराबर होंगे।

घ) खाद्य मूल्य और प्रसाधन सामग्री की वस्तुओं की लागत, चिकित्सक द्वारा निर्धारित किए जाने पर भी प्रतिपूर्ति योग्य नहीं होगी।

विविध

उपरोक्त उपनियमों के अंतर्गत नहीं आने वाली सभी स्थितियां और अत्यावश्यकताओं को केंद्रीय सेवाओं (चिकित्सा परिचर्या) नियम 1944 के संगत प्रावधानों के संदर्भ में हल किया जाएगा।

व्याख्या और कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति

क) इन उपनियमों के किसी प्रावधान के संबंध में महानिदेशक, एनआरआईडीए की व्याख्या अंतिम होगी ।

ख) इन उपनियमों को लागू करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति महानिदेशक, एनआरआईडीए में निहित है।

 

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